स्वपन दोष जैसा कि इसके नाम से प्रतीत होता है कि यह स्वप्न से संबधित रोग है।तो हाँ यह सच है कि यह स्वप्न से संबधित रोग है।यह रोग अधिकतर युवाओं में पाया जाता है। अंग्रेंजी में यह रोग स्पर्माटोरिया के नाम से जाना जाता है। सामान्य अवस्था में स्त्री व पुरुष के सम्मिलन की चरमावस्था पर पुरुष का वीर्य स्खलित होता है । या यह कहा जा सकता है कि वीर्य़ का स्खलन संभोग की चरम सीमा है जिसमें पुरुष का वीर्य स्खलित होता है। इसमें पुरुष व स्त्री शारीरिक व मानसिक तल पर एक साथ सम्मिलित होते हैं।और दोनो का एक ही लक्ष्य होता है सम्भोग की चरम अवस्था पर पहुँच कर परमानन्द की अनुभूति प्राप्त करना ।
सोते समय लिंग से वीर्य का अनियन्त्रित रूप से निकल जाना गीला सपना कहलाता है। इस तरल पदार्थ का रंग क्रीम जैसा या रंगविहीन होता है। सपनों में यौन उत्तेजना होने पर या कम्बल, पलंग अथवा भरे हुए मूत्राशय से रगड़ लगने पर शारीरिक उत्तेजना से गीले सपने आते हैं।
सोते समय स्वप्न में यौन क्रीड़ा संबंधी दृश्य देखने पर जननेन्द्रिय में उत्तेजना आती है और शुक्राशय में एकत्रित हुआ शुक्र निकल जाता है, इसे स्वप्नदोष (नाइट फाल) होना कहते हैं, स्वप्नदोष होने का यह भी एक कारण होता है।
सोते समय स्वप्न में यौन क्रीड़ा संबंधी दृश्य देखने पर जननेन्द्रिय में उत्तेजना आती है और शुक्राशय में एकत्रित हुआ शुक्र निकल जाता है, इसे स्वप्नदोष (नाइट फाल) होना कहते हैं, स्वप्नदोष होने का यह भी एक कारण होता है। परन्तु अत्याधिक वीर्य स्खलित होना नपुंसकता का एक लक्षण हो सकता है अतः इसका शीघ्र उपचार करना अत्यंत आवश्यक है
स्वप्नदोष एक स्वाभाविक क्रिया है जिसके अंतर्गत एक पुरुष को नींद के दौरान वीर्यपात (स्खलन) हो जाता है, इसके दौरान पुरुष एक स्वतःस्फूर्त यौनानन्द का अनुभव भी करते हैं।
स्वप्नदोष के दौरान यौनसुख के बजाय झुनझुनी, जैसे पेशाब निकल रहा है या जैसे पेशाब लगा है जैसी अनुभूति हो सकती है। कई किशोर इस दौरान नींद से जाग जाते हैं और उनमे एक शर्मिंदगी की भावना आती है कि उन्होने सोते हुए बिस्तर गीला कर दिया है।
स्वप्नदोष, एक कामोद्दीपक सपने के बाद होने वाली एक स्वाभाविक शारीरिक प्रतिक्रिया है जिसके कारण पुरुष व्यक्ति के भीतर लगातार उत्पादित हो रहीं शुक्राणु कोशिकाओं की बहुतायत को शरीर से बाहर निकाल दिया जाता है।
स्वप्नदोष की अधिकता किसी भी व्यक्ति के लियें बहुत अधिक हानिकारक हो सकती है तथा स्वप्नदोष की स्थिति में यदि व्यक्ति को शीघ्र ही वीर्य स्खलित हो जाता है तो उस व्यक्ति को शीघ्र पतन की समस्या भी होना संभव है अतः स्वप्नदोष का शीघ्र से शीघ्र उपचार करना अत्यंत आवश्यक है
लैकिन स्वपन दोष एक एसी अवस्था या प्रक्रिया है जिसमें कोई भी स्त्री शारीरिक रुप से उपस्थित नही होती है । व्यक्ति केवल स्वप्न में स्त्री या कामिनी को देखता है और शारीरिक रुप से किसी स्त्री की अनुस्थिति होने के कारण से व्यक्ति केवल कल्पना में ही सारे सम्भोग को करता है। और उस मानसिक सम्भोग की पूर्णता से पहले या पूर्णता पर वीर्य का स्खलन हो जाता है। इस असामान्य स्थिति को स्वप्न दोष कहते है। यह व्यक्ति के सोच विचार का परिणाम होता है।इस रोग को वैसे रोग कहना अतिशयोक्ति ही होगी।
लैकिन यह महिने में अगर 1 या 2 बार ही हो तो सामान्य बात कही जा सकती है।और यह कहा जा सकता है कि कोई रोग नही है किन्तु यदि यह इससे ज्यादा बार होता है तो वीर्य की या शुक्र की हानि होती है और व्यक्ति को शारीरिक कमजोरी का अहसास होता है। क्योंकि यह शुक्र भी रक्त कणों से पैदा होता है । अतः अत्यधिक शुक्र क्षय व्यक्ति को कमजोर कर देता हैं ।
अधिकतर तो स्वप्न दोष अपनी इच्छा के विपरीत ही होता है किन्तु कभी कभी यह ऐच्छिक भी हो सकता है ।
इस क्रिया मे रोगी मानसिक रुप से सम्भागावस्था में होता है किन्तु वास्तविकता में शारिरिक रुप से ऐसा न होने के कारण तथा स्त्री की अनुपस्थिति होने के कारण न तो कभी संभोग का वास्तविक आनन्द ही प्राप्त हो सकता है औऱ न ही संतुष्टि ही मिल सकती है।वल्कि यह तो मानसिक दुर्बलता,कुण्ठित व्यक्तित्व व आध्यात्मिक दुर्बलता का प्रतीक है।
कारण- स्वप्न दोष के अनेकों कारण हो सकते हैं ।लैकिन प्रमुख कारणों में अश्लील चिंतन,अश्लील फिल्म देखना व नारी स्मरण मुख्य हैं ।इसके अलावा पेट में कब्ज रहना, नाड़ी तन्त्र की दुर्वलता भी एसी स्थितियाँ पैदा कर सकता है।गन्दी फिल्में व गंदे फोटो देखना गंदी कहानियो व उपन्यासों को पढ़ने से हमारा अवचेतन मस्तिष्क एसी ही बातों को सोचता रहता है जिसे जागते में तो समाज के भय से पूरा नही कर पाता उसे सोते समय वह पूरा करना चाहता है। और एसे चिन्तन के फलस्वरुप जिसका चिन्तन वह पूरे समय करता रहा है वो चीजे सपने में प्रकट हो जाती हैं.और यह समपन्न हो जाता है । कभी कभी अचानक के भय लगने से भी शरीर बहुत शिथिल हो जाता है जिसके कारण शरीर के अंग प्रत्यंगो की क्रियाविधि पर मस्तिष्क का कंट्रोल कम हो जाता है फलस्वरुप कभी कभी स्वप्न दोष हो जाता है।
देर से शादी होना भी एक कारण हो सकता है ।कभी कभी प्रेमिका से या पत्नी से किसी काऱण दूरी होना जिसमें दोनो का आपस में प्रवल आकृषण हो एसी अवस्था में भी स्वप्न दोष हो जाता है।
ऐसा नही है कि स्वप्न दोष केवल पुरुषों को ही होता है यह स्त्रियों को भी होता है बस अन्तर इतना है कि वहाँ वीर्य की जगह योनि से आर्तव आ जाता है। जिसे सामान्य भाषा में रज कहते हैं।
अन्य कारणों में एक कारण ज्यादा मिर्च मसालों का प्रयोग,सुस्वादु व गरिष्ठ भोजन तथा विलासता पूर्ण रहन सहन भी इस रोग के लिए उत्तर दायी हैं ।
परिणाम- रोगी का शरीर दुवला पतला व शारीरिक कमजोरी से ग्रसित हो जाता है । अत्यधिक ग्रसित होने पर पैरों की शिथिलन व स्मरण शक्ति कमजोर होना मन में खिन्नता होना व अण्डकोषों का लटक जाना भी हो सकता है। इस रोग के रोगी का काम में मन नही लगता औऱ सम्भोग के समय अचानक लिंग में शिथिलता की स्थिति पैदा हो सकती है । और इस कारण शर्म के कारण व्यक्ति कई बार एकाकी सा जीवन विताने लगता है। रोगी का मन हमेशा काम क्रियाओं की बात सोचता रहता है। जिससे रात के समय तीव्र उत्तेजना होती है औऱ सुबह जागने के समय भी लिंग की उत्तेजना होती है।
कभी कभी शौंच के समय पतला वीर्य गिरता है सांस फूलने लगती है।तथा हर समय लिंग का कड़ापन सा बना रहता है । औऱ भी ज्यादा खतरनाक स्थिति तब हो जाती है जब जननेन्द्रिय हमेशा कड़ी वनी रहै या उत्तेजित रहे तथा स्वप्न दोष के बाद अत्यधिक कमजोरी हो जाए ,कान से अलग तरह की आवाजे सुनाई देने लगें ।
सोते समय लिंग से वीर्य का अनियन्त्रित रूप से निकल जाना गीला सपना कहलाता है। इस तरल पदार्थ का रंग क्रीम जैसा या रंगविहीन होता है। सपनों में यौन उत्तेजना होने पर या कम्बल, पलंग अथवा भरे हुए मूत्राशय से रगड़ लगने पर शारीरिक उत्तेजना से गीले सपने आते हैं।
सोते समय स्वप्न में यौन क्रीड़ा संबंधी दृश्य देखने पर जननेन्द्रिय में उत्तेजना आती है और शुक्राशय में एकत्रित हुआ शुक्र निकल जाता है, इसे स्वप्नदोष (नाइट फाल) होना कहते हैं, स्वप्नदोष होने का यह भी एक कारण होता है।
सोते समय स्वप्न में यौन क्रीड़ा संबंधी दृश्य देखने पर जननेन्द्रिय में उत्तेजना आती है और शुक्राशय में एकत्रित हुआ शुक्र निकल जाता है, इसे स्वप्नदोष (नाइट फाल) होना कहते हैं, स्वप्नदोष होने का यह भी एक कारण होता है। परन्तु अत्याधिक वीर्य स्खलित होना नपुंसकता का एक लक्षण हो सकता है अतः इसका शीघ्र उपचार करना अत्यंत आवश्यक है
स्वप्नदोष एक स्वाभाविक क्रिया है जिसके अंतर्गत एक पुरुष को नींद के दौरान वीर्यपात (स्खलन) हो जाता है, इसके दौरान पुरुष एक स्वतःस्फूर्त यौनानन्द का अनुभव भी करते हैं।
स्वप्नदोष के दौरान यौनसुख के बजाय झुनझुनी, जैसे पेशाब निकल रहा है या जैसे पेशाब लगा है जैसी अनुभूति हो सकती है। कई किशोर इस दौरान नींद से जाग जाते हैं और उनमे एक शर्मिंदगी की भावना आती है कि उन्होने सोते हुए बिस्तर गीला कर दिया है।
स्वप्नदोष, एक कामोद्दीपक सपने के बाद होने वाली एक स्वाभाविक शारीरिक प्रतिक्रिया है जिसके कारण पुरुष व्यक्ति के भीतर लगातार उत्पादित हो रहीं शुक्राणु कोशिकाओं की बहुतायत को शरीर से बाहर निकाल दिया जाता है।
स्वप्नदोष की अधिकता किसी भी व्यक्ति के लियें बहुत अधिक हानिकारक हो सकती है तथा स्वप्नदोष की स्थिति में यदि व्यक्ति को शीघ्र ही वीर्य स्खलित हो जाता है तो उस व्यक्ति को शीघ्र पतन की समस्या भी होना संभव है अतः स्वप्नदोष का शीघ्र से शीघ्र उपचार करना अत्यंत आवश्यक है
लैकिन स्वपन दोष एक एसी अवस्था या प्रक्रिया है जिसमें कोई भी स्त्री शारीरिक रुप से उपस्थित नही होती है । व्यक्ति केवल स्वप्न में स्त्री या कामिनी को देखता है और शारीरिक रुप से किसी स्त्री की अनुस्थिति होने के कारण से व्यक्ति केवल कल्पना में ही सारे सम्भोग को करता है। और उस मानसिक सम्भोग की पूर्णता से पहले या पूर्णता पर वीर्य का स्खलन हो जाता है। इस असामान्य स्थिति को स्वप्न दोष कहते है। यह व्यक्ति के सोच विचार का परिणाम होता है।इस रोग को वैसे रोग कहना अतिशयोक्ति ही होगी।
लैकिन यह महिने में अगर 1 या 2 बार ही हो तो सामान्य बात कही जा सकती है।और यह कहा जा सकता है कि कोई रोग नही है किन्तु यदि यह इससे ज्यादा बार होता है तो वीर्य की या शुक्र की हानि होती है और व्यक्ति को शारीरिक कमजोरी का अहसास होता है। क्योंकि यह शुक्र भी रक्त कणों से पैदा होता है । अतः अत्यधिक शुक्र क्षय व्यक्ति को कमजोर कर देता हैं ।
अधिकतर तो स्वप्न दोष अपनी इच्छा के विपरीत ही होता है किन्तु कभी कभी यह ऐच्छिक भी हो सकता है ।
इस क्रिया मे रोगी मानसिक रुप से सम्भागावस्था में होता है किन्तु वास्तविकता में शारिरिक रुप से ऐसा न होने के कारण तथा स्त्री की अनुपस्थिति होने के कारण न तो कभी संभोग का वास्तविक आनन्द ही प्राप्त हो सकता है औऱ न ही संतुष्टि ही मिल सकती है।वल्कि यह तो मानसिक दुर्बलता,कुण्ठित व्यक्तित्व व आध्यात्मिक दुर्बलता का प्रतीक है।
कारण- स्वप्न दोष के अनेकों कारण हो सकते हैं ।लैकिन प्रमुख कारणों में अश्लील चिंतन,अश्लील फिल्म देखना व नारी स्मरण मुख्य हैं ।इसके अलावा पेट में कब्ज रहना, नाड़ी तन्त्र की दुर्वलता भी एसी स्थितियाँ पैदा कर सकता है।गन्दी फिल्में व गंदे फोटो देखना गंदी कहानियो व उपन्यासों को पढ़ने से हमारा अवचेतन मस्तिष्क एसी ही बातों को सोचता रहता है जिसे जागते में तो समाज के भय से पूरा नही कर पाता उसे सोते समय वह पूरा करना चाहता है। और एसे चिन्तन के फलस्वरुप जिसका चिन्तन वह पूरे समय करता रहा है वो चीजे सपने में प्रकट हो जाती हैं.और यह समपन्न हो जाता है । कभी कभी अचानक के भय लगने से भी शरीर बहुत शिथिल हो जाता है जिसके कारण शरीर के अंग प्रत्यंगो की क्रियाविधि पर मस्तिष्क का कंट्रोल कम हो जाता है फलस्वरुप कभी कभी स्वप्न दोष हो जाता है।
देर से शादी होना भी एक कारण हो सकता है ।कभी कभी प्रेमिका से या पत्नी से किसी काऱण दूरी होना जिसमें दोनो का आपस में प्रवल आकृषण हो एसी अवस्था में भी स्वप्न दोष हो जाता है।
ऐसा नही है कि स्वप्न दोष केवल पुरुषों को ही होता है यह स्त्रियों को भी होता है बस अन्तर इतना है कि वहाँ वीर्य की जगह योनि से आर्तव आ जाता है। जिसे सामान्य भाषा में रज कहते हैं।
अन्य कारणों में एक कारण ज्यादा मिर्च मसालों का प्रयोग,सुस्वादु व गरिष्ठ भोजन तथा विलासता पूर्ण रहन सहन भी इस रोग के लिए उत्तर दायी हैं ।
परिणाम- रोगी का शरीर दुवला पतला व शारीरिक कमजोरी से ग्रसित हो जाता है । अत्यधिक ग्रसित होने पर पैरों की शिथिलन व स्मरण शक्ति कमजोर होना मन में खिन्नता होना व अण्डकोषों का लटक जाना भी हो सकता है। इस रोग के रोगी का काम में मन नही लगता औऱ सम्भोग के समय अचानक लिंग में शिथिलता की स्थिति पैदा हो सकती है । और इस कारण शर्म के कारण व्यक्ति कई बार एकाकी सा जीवन विताने लगता है। रोगी का मन हमेशा काम क्रियाओं की बात सोचता रहता है। जिससे रात के समय तीव्र उत्तेजना होती है औऱ सुबह जागने के समय भी लिंग की उत्तेजना होती है।
कभी कभी शौंच के समय पतला वीर्य गिरता है सांस फूलने लगती है।तथा हर समय लिंग का कड़ापन सा बना रहता है । औऱ भी ज्यादा खतरनाक स्थिति तब हो जाती है जब जननेन्द्रिय हमेशा कड़ी वनी रहै या उत्तेजित रहे तथा स्वप्न दोष के बाद अत्यधिक कमजोरी हो जाए ,कान से अलग तरह की आवाजे सुनाई देने लगें ।
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